राजीव नगर थाना क्षेत्र के आवास बोर्ड पर भू माफियाओं द्वारा अवैध निर्माण कार्य धराइले से शुरू कर दिया गया है। जब आप उस रास्ते से गुजरते है तो आपको कई सारे शादी समारोह जैसे पंडाल बने देखेगे मगर जब आप बारीकी उस पर नजर डालेंगे तो पंडाल के पीछे जाकर देखेगे तो आप भी हैरान रह जाएंगे क्योंकि उस शादी समारोह के पंडाल के पीछे आवास बोर्ड के जमीन पर अवैध निर्माण करते नजर आए गे आप अगर कमजोर परिवार से और कोई पावर पहुच नही है तो आप आवास बोर्ड के जमीन पर घर बनाने की सपना छोर दीजिये क्योंकि पुलिस कर्मी आपको एक अपराधी के नजर से देखेंगे ओर एक अपराधी के साथ जैसे पुलिस कर्मी सलूक करते है वैसे ही आपके साथ होगा क्योंकि आपके जेब मे गुलाबी कागज ओर न ही पैरवी है

वही आप पावरफुल , रुतबा , ऊपर तक पहुच ओर गुलाबी कागज है तो आप खुलियाम दिनदहाड़े काम लगाइए न तो स्थानीय पुलिस आएगी रोकने न ही आवास बोर्ड के अधिकारी आखिर
ज्ञात हो की आवास बोर्ड की जमीन पर पटना उच्च न्यायालय द्वारा अवैध निर्माण को लेकर कई पुलिस अधिकारियों को डांट फटकार लगाया गया है। वही उच्च न्यायालय द्वारा निर्गत आदेश के अनुसार आवास बोर्ड की जमीन पर किसी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं किया जाना है।
. 3 जुलाई 2022 का वह मंजर स्थानीय लोग अब तक नहीं भूले जब पटना के राजीव नगर थाना क्षेत्र में बुलडोजर कार्रवाई हो रही थी. शासन 20 एकड़ में बने 70 मकानों को तोड़ने की कार्रवाई कर रहा था, लेकिन सामने से पब्लिक पत्थर बरसा रही थी तो पुलिसकर्मियों ने भी जवाब में मोर्चा ले लिया था. कई गाड़ियों में आ लगा दी गई थी. दृश्य भयावह बन पड़ा था क्योंकि पब्लिक बेकाबू थी. विरोध को देखते हुए करीब चार थानों की पुलिस मौजूद थी. दो हजार से अधिक पुलिस फोर्स आसपास के इलाके में भी तैनात की गई थी, बावजूद पुलिसकर्मियों को भीड़ को संभालना मुश्किल हो रहा था. आज एक बार फिर यही राजीव नगर थाना चर्चा में है क्योंकि यह देश का सातवां सबसे बढ़िया थाना घोषित हुआ है और बिहार में इसे पहला नंबर मिला है.
आइये आगे जानते हैं कि आखिर यह पूरा विवाद है क्या और क्यों राजीव नगर थाना को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इस क्रम में कभी थाना को कभी सराहना तो कभी बदनामी भी मिलती रही है.
दरअसल, बिहार आवास बोर्ड ने यहां 1024 एकड़ जमीन को आवासीय परिसर के लिए अधिग्रहित किया था, लेकिन अधिग्रहण में भेदभाव और मुआवजा का विवाद तब से ही जारी है. इस बीच किसानों ने अपनी जमीनें बेचीं और बाहर से आकर जमीन खरीदने वाले लोग बसते चले गए. अब तो यहां 22 हजार से भी अधिक घर बस गए हैं. इनमें आईएएस, आईपीएस, जज और सरकारी अफसरों के घर शामिल हैं. वहीं, इसी क्रम में भू-माफियाओं की दखल भी बढ़ी तो जमीन विवाद में कई बार ऐसे दृश्य भी सामने आए जिससे इस थाने पर अराजक तत्वों से सांठगांठ के भी आरोप लगे. किसान, जमीन मालिक, यहां बसने वाले लोगों के बीच भू-माफियाओं की पैठ ने राजीव नगर थाना क्षेत्र को हमेशा चर्चा में बनाए रखा.
दरअसल, एक समय था जब इसी थाने पर लापरवाहियों के आरोप भी लगे थे. राजीव नगर थाना क्षेत्र में इतना बवाल हुआ था कि पूरा इलाका जल उठा था. पत्थरबाजी, फायरिंग, गाड़ियों का जलाया जाना जैसी घटनाएं घटीं और कई दिनों तक बवाल होता रहा था. यह सिर्फ एक बार नहीं, बल्कि राजीव नगर थाना क्षेत्र में कई बार ऐसे मंजर देखे गए. तब आरोप लगते रहे कि राजीव नगर थाना पुलिस आखिर कहां सोती रही जो इतना बवाल हो गया. बता दें कि पूरा मामला राजीव नगर थाना क्षेत्र की 1024 एकड़ जमीन विवाद से जुड़ा हुआ है. यह विवाद आज का नहीं वर्ष 1974 से ही चल रहा है.
2022 में हुआ था बवाल
2022 में राजीव नगर इलाके में आवास बोर्ड की जमीन पर गलत तरीके से निर्माण के मामले ने विवाद का रूप धारण कर लिया था। आवास बोर्ड ने इन सारे निर्माण को अवैध बताते हुए कई घरों को तोड़ने की कार्रवाई की थी। जिसमें कई दिनों तक हंगामा हुआ था। यहां तक कि हाईकोर्ट को भी मामले में दखल देना पड़ा